लोगो को प्रभावित कैसे करें? How to influence people?
में आपको बहुत ही फेमस बुक '(How to win friends and influence people ) हाउ टू विन फ्रेंड्स एंड इन्फ्लुएन्स पीपल' से कुछ ऐसी बातें बताऊंगा जिनको आप अपनी लाइफ में फॉलो करके लोगो को आसानी से प्रभावित कर सकते है| इस बुक के लेखक डेल कारनेगी है |
डेल कारनेगी ने यह पुस्तक उस समय के बहुत ही मशहूर लोगों के इंटरव्यू लेकर और उनकी सफलता के
विषय में क्या सोच होती है उस को ध्यान में रखकर लिखी थी|
डेल कार्नेगी की अमर पुस्तक आपको यह बातें सिखाती है
- किस तरह जल्दी और आसानी से दोस्त बनाएं|
- किस तरह लोगों से अपनी बात मनवाए|
- किस तरह नए ग्राहकों का दिल जीता जीते|
- किस तरह बेहतर बोले,अधिक रोचक वक्ता बने|
- किस तरह अपने साथियों में जोश भरे|
- आप के प्रभाव मान-सम्मान को बढ़ाएगी और काम करने की योग्यता को बढ़ाएगी|
- शिकायतों से निपटने, बहस से बचने ,और संबंधों को मधुर बनाने के तरीके सिखाएगी|
एक शोध से पता चला है कि कि किसी की आर्थिक सफलता का केवल 15 प्रतिशत ही उसके तकनीकी ज्ञान पर निर्भर करता है|
जबकि उसकी सफलता का 85 प्रतिशत उसके व्यवहार की कला पर निर्भर करता है उसका व्यक्तित्व और लोगों का नेतृत्व करने की उसकी कला उसे 85 प्रतिशत सफलता दिलाती है|
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| William Jones (philologist) |
हावर्ड के प्रसिद्ध प्रोफेसर विलियम जोंस ने कहा था "हम जो हो सकते हैं उसकी तुलना में हम सिर्फ आधे जागे हुए ही होते हैं| हम अपनी क्षमताओं का बहुत कम हिस्सा ही हासिल कर पाते हैं| हम अपनी शारीरिक और मानसिक योग्यता का बहुत थोड़ा हिस्सा हि इस्तेमाल करते हैं | इंसान अपनी संभावनाओं का पूरा दोहन नहीं करते उनके पास ऐसी बहुत सी क्षमता या शक्तियां होती हैं जिनका प्रयोग करने में वे आमतौर पर असफल रहते हैं"किसी की आलोचना करने से कोई फायदा नहीं होता, क्योंकि इससे सामने वाला आदमी अपना बचाव करने लगता है,बहाने बनाने लगता है ,या तर्क देने लगता है,
आलोचना खतरनाक भी है क्योंकि इससे उस आदमी का बहुमूल्य आत्मसम्मान आहत होता है उसके दिल को ठेस पहुंचती है और वहा आप के प्रति दुर्भावना रखने रखता है|
विश्वप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक बी एफ स्किनर ने अपने प्रयोगों से यह सिद्ध कर दिया है कि जिस जानवर को अच्छे व्यवहार के लिए पुरस्कार दिया जाता है वहा उस जानवर से ज्यादा तेजी से सीखता है जिसे खराब व्यवहार के लिए दंड दिया जाता है|
बाद में हुए अध्ययनों से यह पता चला कि यही इंसानों के बारे में भी सही है आलोचना से कोई सुधरता नहीं है, अलबत्ता संबंध जरूर बिगड़ जाते हैं|
एक और महान मनोवैज्ञानिक हैंस सेल्ये ने कहा था कि "जितना हम सराहना के भूखे होते हैं, उतना ही हम निंदा से डरते हैं"
आलोचना या निंदा से कर्मचारियों, परिवार के सदस्यों, और दोस्तों का मनोबल कम हो जाता है, और उस स्थिति में कोई सुधार नहीं होता जिसके लिए आलोचना की जाती है|
कार्तिक सेन इंदौर की एक इंजीनियरिंग कंपनी में सुरक्षा प्रभारी थे| उनकी एक जिम्मेदारी यह थी कि जब भी कर्मचारी फील्ड में अपना काम कर रहे हो, तो कर्मचारी अपने हेलमेट लगाए रखें |
पहले तो वे जब भी किसी कर्मचारी को बिना हेलमेट लगाए देखते थे, तो उन्हें बर्दाश्त नहीं होता था | वह नियमों का हवाला देते हुए उन्हें सख्त आदेश देते थे कि वहां नियमों का पालन करें | परिणाम यह होता था कि कर्मचारी मन मारकर उसके आदेश का पालन तो करते थे परंतु अक्सर उसके जाने के बाद अपने हेलमेट फिर से हटा देते थे |
उसने दूसरी तरकीब आजमाने का फैसला किया | अगली बार जब उसने कुछ कर्मचारियों को बिना हेलमेट के देखा तो उसने उनसे पूछा कि क्या हेलमेट आरामदेह नहीं है? या उनकी फिटिंग सही नहीं है? फिर मुस्कुराते हुए उसने उन लोगों को
यह बताया कि हेलमेट उन्हें चोट से बचाने के लिए है और इसलिए काम करते समय उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनना चाहिए |
इसका परिणाम यह हुआ कि कर्मचारियों ने अपनी इच्छा से हेलमेट पहनना शुरू कर दिया और कोई दुर्भावना भी पैदा नहीं हुई


Fabulous
ReplyDeleteThis is an inspiring mine
ReplyDeleteFabulous
ReplyDeleteBadiya
ReplyDeleteThanks to all ....Keep reading!
ReplyDeleteAwesome...
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