How to treat people ( लोगों के साथ कैसा व्यवहार करें)
- How to become charming in society.(समाज में आकर्षक कैसे बनें)
क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिसे आप बदलना,सुधारना और बेहतर बनाना चाहते हो? बहुत बढ़िया ! यह बहुत अच्छा विचार है मैं भी इसके पक्ष में हूं |
परंतु क्यों ना खुद से ही शुरुआत की जाए ?विशुद्ध स्वार्थी ढंग से सोचे तो भी दूसरों को सुधारने की बजाय खुद को सुधारना हमारे लिए फायदेमंद होगा--हां और कम खतरनाक भी | कंफियूनियस ने कहा था "जब आपके खुद के घर की सीढिया ही साफ़ ना हो तो अपने पडोसी की छत पर पड़ी बर्फ के बारे में शिकायत मत करो |"
लोगों के साथ व्यवहार व्यवहार करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम तार्किक लोगों के साथ व्यवहार नहीं कर रहे हैं |
हम भावात्मक लोगों के साथ व्यवहार कर रहे हैं जिनमें पूर्वाग्रह भी है, खामियाँ भी है; गर्व और अहँकार भी है |
बेंजामिन फ्रैंकलीन अपनी युवा अवस्था में अभद्र थे , आगे चलकर इतने कूटनीतिक बन गए , लोगों के साथ व्यवहार करने में कुशल हो गए कि उन्हें फ्रांस में राजदूत के रूप में गया | उनकी सफलता का क्या राज़ था ?
"मैं किसी के बारे में बुरा नहीं बोलूंगा .......... उनका कहना था और हर एक के बारे में अच्छा ही बोलूंगा |"
कोई भी मूर्ख बुराई कर सकता है , निंदा कर सकता है , शिकायत कर सकता है --और ज्यादातर यही करते हैं |
परंतु समझने और माफ करने के लिए आप को समझदार और संयमी होना पड़ता है |
कार्लयन ने कहा था
"महान व्यक्ति छोटे लोगों के साथ व्यवहार करने में अपनी महानता दिखाते हैं |"
लोगों की आलोचना करने के बजाय हमें उन्हें समझने की कोशिश करना चाहिए | हमें यह पता लगाना चाहिए कि जो काम वे करते हैं , उन्हें वे क्यों करते हैं |
यह आलोचना करने से बहुत ज्यादा रोचक और लाभदायक होगा| यही नहीं इसी , इसलिए सहानुभूति , सहनशक्ति और दयालुता का माहौल भी बनेगा |
"सबकी समझ लेने का मतलब है सबको माफ कर देना|"
डॉक्टर जॉनसन ने कहा था
"भगवान खुद आदमी की मौत से पहले उसका फैसला नहीं करता फिर आप और मैं ऐसा करने वाले कौन होते हैं |"
सिद्धांत
बुराई मत करो , निंदा मत करो , शिकायत मत करो |
लोगों के साथ व्यवहार व्यवहार करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम तार्किक लोगों के साथ व्यवहार नहीं कर रहे हैं |
हम भावात्मक लोगों के साथ व्यवहार कर रहे हैं जिनमें पूर्वाग्रह भी है, खामियाँ भी है; गर्व और अहँकार भी है |
बेंजामिन फ्रैंकलीन अपनी युवा अवस्था में अभद्र थे , आगे चलकर इतने कूटनीतिक बन गए , लोगों के साथ व्यवहार करने में कुशल हो गए कि उन्हें फ्रांस में राजदूत के रूप में गया | उनकी सफलता का क्या राज़ था ? "मैं किसी के बारे में बुरा नहीं बोलूंगा .......... उनका कहना था और हर एक के बारे में अच्छा ही बोलूंगा |"
कोई भी मूर्ख बुराई कर सकता है , निंदा कर सकता है , शिकायत कर सकता है --और ज्यादातर यही करते हैं |
परंतु समझने और माफ करने के लिए आप को समझदार और संयमी होना पड़ता है |
कार्लयन ने कहा था
"महान व्यक्ति छोटे लोगों के साथ व्यवहार करने में अपनी महानता दिखाते हैं |"
लोगों की आलोचना करने के बजाय हमें उन्हें समझने की कोशिश करना चाहिए | हमें यह पता लगाना चाहिए कि जो काम वे करते हैं , उन्हें वे क्यों करते हैं |
यह आलोचना करने से बहुत ज्यादा रोचक और लाभदायक होगा| यही नहीं इसी , इसलिए सहानुभूति , सहनशक्ति और दयालुता का माहौल भी बनेगा |
"सबकी समझ लेने का मतलब है सबको माफ कर देना|"
डॉक्टर जॉनसन ने कहा था
"भगवान खुद आदमी की मौत से पहले उसका फैसला नहीं करता फिर आप और मैं ऐसा करने वाले कौन होते हैं |"
सिद्धांत
बुराई मत करो , निंदा मत करो , शिकायत मत करो |

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